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पीएम विश्वकर्मा योजना (PM VISHWAKARMA) 2025: पात्रता, लाभ, ऑनलाइन आवेदन और पूरी जानकारी

पीएम विश्वकर्मा योजना क्या है?

PM VISHWAKARMA

PM VISHWAKARMA : भारत एक ऐसा देश है जहाँ पारंपरिक कारीगरों की विरासत सदियों पुरानी है। लोहार, बढ़ई, सुनार, कुम्हार, दर्जी, मोची और अन्य हस्तशिल्प कारीगर हमारे समाज की रीढ़ हैं। लेकिन इन कारीगरों को वर्षों से नजरअंदाज किया गया है। इन्हें ना तो सरकारी मदद ठीक से मिलती थी, ना ही वित्तीय सहायता। इन्हीं जरूरतों को ध्यान में रखते हुए, भारत सरकार ने “पीएम विश्वकर्मा योजना” की शुरुआत की।

इस योजना का मुख्य उद्देश्य है—पारंपरिक कारीगरों और शिल्पकारों को एक नई पहचान देना, उनके काम को आधुनिक संसाधनों से जोड़ना, और उन्हें आर्थिक रूप से सशक्त बनाना। यह योजना न केवल आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक बड़ा कदम है, बल्कि यह ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी मजबूती देती है।

इस योजना से लाभ यह है कि पारंपरिक हस्तकला व्यवसायों को सरकारी मान्यता और आर्थिक सहायता मिलती है, जिससे वे न केवल अपने परिवार का पालन-पोषण कर पाते हैं बल्कि अपने काम को आगे भी बढ़ा सकते हैं। इससे भारत की सांस्कृतिक विरासत को भी संरक्षित किया जा रहा है।

प्रधानमंत्री का दृष्टिकोण

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जब इस योजना का उद्घाटन किया, तब उनका साफ़ संदेश था—“अब तक कारीगरों को मजदूर समझा गया, अब उन्हें विश्वकर्मा कहा जाएगा।” यह बयान न केवल उनके सम्मान को बढ़ाता है, बल्कि समाज में उनकी भूमिका को नए सिरे से परिभाषित करता है।

पीएम मोदी के अनुसार, यह योजना केवल आर्थिक सहायता का जरिया नहीं है, बल्कि यह ‘Made in India’ अभियान को भी बढ़ावा देती है। इससे ग्रामीण और शहरी कारीगरों को एक समान अवसर मिलते हैं, और वे अपनी कला को नई ऊंचाइयों तक ले जा सकते हैं।

योजना की शुरुआत और ऐतिहासिक पृष्ठभूमि

विश्वकर्मा जयंती पर योजना की शुरुआत

17 सितंबर 2023, विश्वकर्मा जयंती के दिन, जब पूरे देश में भगवान विश्वकर्मा की पूजा हो रही थी, उसी दिन पीएम मोदी ने इस महत्वाकांक्षी योजना का शुभारंभ किया। इस दिन का चुनाव एक गहरा संदेश देता है—“कला और मेहनत को ईश्वर तुल्य मानना।”

यह योजना भारतीय परंपरा और संस्कृति को आधुनिकता से जोड़ने का प्रयास है। पहले जो काम केवल धार्मिक या पारंपरिक माना जाता था, अब उसे सरकार द्वारा संरक्षित और प्रोत्साहित किया जा रहा है। योजना की शुरुआत से न केवल धार्मिक जुड़ाव बना बल्कि इससे सामाजिक मान्यता भी मिली।

पारंपरिक कारीगरों की भूमिका भारत में

भारत की अर्थव्यवस्था में पारंपरिक कारीगरों का योगदान अनमोल है। चाहे वह बनारसी साड़ी बुनने वाले हों, या फिर राजस्थान के मीनाकारी कलाकार, इन सबकी कला और मेहनत ने भारत को दुनिया भर में पहचान दिलाई है। परंतु बदलते समय में इन कारीगरों को नई तकनीक और बाज़ार की जरूरतें पूरी करने में मुश्किलें आईं।

सरकार ने महसूस किया कि अगर इन कारीगरों को प्रशिक्षित किया जाए, उन्हें नए उपकरण दिए जाएं, और वित्तीय सहायता प्रदान की जाए, तो यह न केवल उनकी आजीविका को मजबूत करेगा, बल्कि देश की GDP में भी महत्वपूर्ण योगदान देगा। पीएम विश्वकर्मा योजना इन्हीं जरूरतों की पूर्ति करती है।

पीएम विश्वकर्मा योजना के लाभ

PM VISHWAKARMA

वित्तीय सहायता और ऋण सुविधा

इस योजना के अंतर्गत कारीगरों को दो चरणों में आसान ऋण उपलब्ध कराया जाता है। पहले चरण में ₹1 लाख और दूसरे चरण में ₹2 लाख तक का ऋण बिना किसी गारंटी के दिया जाता है। सबसे बड़ी बात यह है कि इस ऋण पर सिर्फ 5% ब्याज दर है, जो कि अन्य किसी योजना की तुलना में बेहद सस्ती है।

इसके अलावा, सरकार ऋण के साथ-साथ अनुदान भी देती है, जिससे कारीगर अपने काम के लिए आवश्यक उपकरण खरीद सकते हैं। इससे उन्हें महंगे ब्याज पर निजी उधार लेने की जरूरत नहीं पड़ती।

प्रशिक्षण और कौशल विकास

PM VISHWAKARMA योजना के तहत कारीगरों को नए औजारों का उपयोग, डिज़ाइनिंग, डिजिटल मार्केटिंग और ग्राहकों से संवाद करने जैसे कई महत्वपूर्ण प्रशिक्षण दिए जाते हैं। प्रशिक्षण के दौरान उन्हें ₹500 प्रति दिन की प्रोत्साहन राशि भी दी जाती है।

यह प्रशिक्षण सरकारी संस्थानों और आईटीआई जैसे संस्थानों के माध्यम से होता है। इससे कारीगरों का आत्मविश्वास बढ़ता है और वे अपने काम को और बेहतर तरीके से कर पाते हैं।

टूलकिट और उपकरण समर्थन

सरकार प्रत्येक लाभार्थी को ₹15,000 की टूलकिट सहायता राशि भी प्रदान करती है। यह राशि सीधे उनके बैंक खाते में ट्रांसफर की जाती है और इसका उपयोग वे अपने व्यवसाय से जुड़े औजारों को खरीदने में कर सकते हैं।

इससे न केवल उनके उत्पादन की गुणवत्ता बेहतर होती है, बल्कि वे अधिक ग्राहकों को आकर्षित करने में भी सक्षम होते हैं।

पात्रता मानदंड

कौन इस योजना के लिए आवेदन कर सकता है?

PM VISHWAKARMA योजना उन कारीगरों के लिए है जो पारंपरिक रूप से हाथ से या औजारों से काम करते हैं। इनमें बढ़ई, लोहार, दर्जी, सुनार, कुम्हार, धोबी, नाई, माली, मोची आदि शामिल हैं। जो भी व्यक्ति स्वरोजगार करता है और किसी पारंपरिक कला या कारीगरी से जुड़ा है, वह इस योजना का लाभ उठा सकता है।

इसके अलावा, लाभार्थी की आयु कम से कम 18 वर्ष होनी चाहिए और वह पहले से किसी अन्य सरकारी स्वरोजगार योजना (जैसे मुद्रा योजना) से लाभ नहीं ले रहा हो।

दस्तावेज़ और आवश्यक प्रमाण पत्र

PM VISHWAKARMA योजना का लाभ उठाने के लिए निम्नलिखित दस्तावेजों की आवश्यकता होती है:

  • आधार कार्ड

  • मोबाइल नंबर (आधार से लिंक)

  • बैंक पासबुक की कॉपी

  • पासपोर्ट साइज फोटो

  • स्वयं-घोषणा प्रमाण पत्र (Self-declaration certificate)

  • कार्य का प्रमाण (जैसे स्थानीय निकाय से सत्यापन)

आवेदन प्रक्रिया

ऑनलाइन आवेदन की प्रक्रिया

  1. सबसे पहले https://pmvishwakarma.gov.in पर जाएं।

  2. वहाँ “New Registration” पर क्लिक करें।

  3. आधार नंबर और मोबाइल नंबर के माध्यम से OTP से सत्यापन करें।

  4. आवेदन फॉर्म भरें और सभी आवश्यक दस्तावेज़ अपलोड करें।

  5. आवेदन की स्थिति की निगरानी पोर्टल से की जा सकती है।

स्थानीय निकायों की भूमिका

योजना को सफल बनाने में ग्राम पंचायत, नगरपालिका और अन्य स्थानीय निकायों की भूमिका अहम है। वे आवेदन की वैधता की पुष्टि करते हैं, प्रशिक्षण संस्थानों से संपर्क स्थापित करते हैं, और यह सुनिश्चित करते हैं कि सही व्यक्ति को लाभ मिले।

पीएम विश्वकर्मा योजना के तहत मिलने वाली सुविधाएं

pm vishwakarma

तकनीकी सहायता और डिजिटल सशक्तिकरण

आज के डिजिटल युग में केवल हाथ से काम करना काफी नहीं है। कारीगरों को अपने उत्पादों को ऑनलाइन बेचना, डिजिटल भुगतान लेना और सोशल मीडिया पर मार्केटिंग करना सीखना जरूरी हो गया है। पीएम विश्वकर्मा योजना इस जरूरत को पहचानती है और लाभार्थियों को डिजिटल सशक्तिकरण के तहत ट्रेनिंग और तकनीकी मदद देती है।

सरकार की ओर से ई-मार्केटिंग, डिजिटल पेमेंट, UPI उपयोग, GST रजिस्ट्रेशन जैसी जरूरी जानकारियाँ प्रदान की जाती हैं। इससे कारीगर अपना व्यवसाय ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म जैसे Amazon, Flipkart, GeM (Government e-Marketplace) पर भी बढ़ा सकते हैं। अब एक कुम्हार सिर्फ अपने गाँव में ही नहीं, पूरे देश में अपने उत्पाद बेच सकता है।

इसके अलावा डिजिटल लर्निंग पोर्टल्स के ज़रिए प्रशिक्षण और टूल्स का उपयोग सिखाया जाता है, जिससे कारीगर तकनीक से न डरें बल्कि उसे अपने फायदे के लिए इस्तेमाल करें। यह कदम उन्हें वैश्विक प्रतिस्पर्धा के लिए तैयार करता है।

प्रमाणीकरण और पहचान पत्र

PM VISHWAKARMA योजना के अंतर्गत सभी लाभार्थियों को एक डिजिटल पहचान पत्र (PM Vishwakarma ID Card) और प्रमाण पत्र (Certificate of Artisan) प्रदान किया जाता है। यह दस्तावेज़ न केवल उन्हें आधिकारिक मान्यता देता है, बल्कि भविष्य में किसी भी सरकारी योजना का लाभ उठाने में मदद करता है।

यह पहचान पत्र QR कोड आधारित होता है, जिसमें उनके कार्य, प्रशिक्षण, ऋण, और अन्य जानकारी दर्ज होती है। इससे वे किसी भी सरकारी संस्था या मार्केटप्लेस पर अपनी पहचान दिखाकर तुरंत सुविधा प्राप्त कर सकते हैं।

विभिन्न व्यवसायों को मिलने वाला लाभ

किस व्यवसाय को क्या सहायता मिलती है?

पीएम विश्वकर्मा योजना 18 पारंपरिक व्यवसायों को कवर करती है, जिनमें से प्रत्येक को उनकी आवश्यकता अनुसार सहायता प्रदान की जाती है। नीचे एक सारणी दी गई है:

व्यवसायउपकरण सहायताऋण सुविधाप्रशिक्षण उपलब्ध
बढ़ई (Carpenter)लकड़ी काटने व गढ़ने के औजार₹1-2 लाखफर्नीचर डिज़ाइनिंग
लोहार (Blacksmith)हथौड़ा, फोर्जिंग औजार₹1-2 लाखआधुनिक मेटल वर्क
सुनार (Goldsmith)फिनिशिंग किट, डिज़ाइन टूल₹1-2 लाखज्वेलरी डिज़ाइनिंग
दर्जी (Tailor)सिलाई मशीन, कटिंग टूल₹1-2 लाखफैशन डिज़ाइनिंग
नाई (Barber)हेयर कटिंग मशीन, किट₹1-2 लाखआधुनिक ग्रूमिंग
मोची (Cobbler)जूता बनाने के औजार₹1-2 लाखलेदर वर्कशॉप
कुम्हार (Potter)चाक, मिट्टी के औजार₹1-2 लाखसिरेमिक डिज़ाइनिंग

हर व्यवसाय के हिसाब से प्रशिक्षण और सहायता सामग्री तैयार की गई है ताकि कारीगरों को उनकी जरूरतों के अनुसार सपोर्ट मिल सके।

महिलाओं को विशेष प्रोत्साहन

योजना के तहत महिलाओं को भी बराबरी का हक और प्रोत्साहन दिया जाता है। महिलाओं को आवेदन में प्राथमिकता दी जाती है और महिला कारीगरों के लिए विशेष प्रशिक्षण शिविर आयोजित किए जाते हैं। इससे वे आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनती हैं और समाज में उनकी भूमिका और मजबूत होती है।

राज्यवार PM VISHWAKRMA योजना का क्रियान्वयन

किस राज्य में कितने लाभार्थी?

PM VISHWAKARMA योजना को हर राज्य में समान रूप से लागू किया गया है, लेकिन कुछ राज्यों में इसका क्रियान्वयन विशेष रूप से प्रभावशाली रहा है। उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल, मध्य प्रदेश, राजस्थान, और कर्नाटक जैसे राज्यों में लाखों कारीगरों ने इस योजना के तहत आवेदन किया है।

उदाहरण के तौर पर:

  • उत्तर प्रदेश: 5 लाख+ लाभार्थी पंजीकृत

  • बिहार: 3 लाख+ लाभार्थी

  • राजस्थान: 2 लाख+ कारीगरों को प्रशिक्षण प्रदान

सरकार इन आंकड़ों की निगरानी करती है और जिन राज्यों में पंजीकरण धीमा है, वहां जागरूकता अभियान चलाए जाते हैं। स्थानीय पंचायतों, NGOs, और ग्रामीण विकास अधिकारियों को शामिल कर लाभार्थियों तक योजना की जानकारी पहुंचाई जाती है।

योजना से जुड़े सफल उदाहरण और प्रेरणादायक कहानियाँ

PM VISHWAKARMA

जमीनी स्तर से बदलाव की शुरुआत

PM VISHWAKARMA योजना की सबसे बड़ी ताकत यह है कि इसने न केवल आंकड़ों में बदलाव लाया है, बल्कि हजारों परिवारों की ज़िंदगी भी बदली है। कारीगर जो कभी दिन-रात मेहनत के बावजूद मुश्किल से जीवन यापन कर पाते थे, अब सम्मान और आय दोनों प्राप्त कर रहे हैं।

उत्तर प्रदेश के अमेठी जिले के रामदीन लोहार पहले अपने पुराने औजारों से काम करते थे, जिनकी हालत बेहद खराब थी। पीएम विश्वकर्मा योजना के तहत उन्हें ₹15,000 की टूलकिट सहायता और ₹1 लाख का बिना गारंटी ऋण मिला। अब उन्होंने अपना खुद का वर्कशॉप खोल लिया है, जहाँ वे गाँव के युवाओं को भी प्रशिक्षण देते हैं।

इसी तरह बिहार की राधा देवी, जो दर्जी का काम करती थीं, उन्हें इस योजना के माध्यम से नई सिलाई मशीन और डिजिटल ट्रेनिंग मिली। पहले वह केवल अपने गाँव में कपड़े सिलती थीं, लेकिन अब सोशल मीडिया के ज़रिए उन्हें ऑर्डर देशभर से मिल रहे हैं।

इन प्रेरणादायक कहानियों से यह स्पष्ट होता है कि सरकार की यह योजना केवल कागज़ी नहीं है, बल्कि ज़मीन पर इसके ठोस परिणाम दिखाई दे रहे हैं।

निष्कर्ष

PM VISHWAKARMA योजना भारत के उन कारीगरों के लिए आशा की किरण है, जिन्हें अब तक नज़रअंदाज़ किया गया था। यह योजना न केवल आर्थिक सहायता प्रदान करती है, बल्कि कारीगरों को आत्मसम्मान, पहचान और भविष्य का मार्ग भी देती है। अगर आप या आपके आस-पास कोई पारंपरिक व्यवसाय से जुड़ा है, तो उसे इस योजना का हिस्सा ज़रूर बनाइए। यह सिर्फ योजना नहीं, बल्कि ‘भारत के विश्वकर्माओं’ को सम्मान देने का अभियान है।

अगर आपको PM VISHWAKARMA से जूड़ी यह जानकारी अच्छी और उपयोगी लगी हो तो हमेशा वैबसाइट पर आते रहे यहाँ हम आपको सरकारी जॉब्स, एड्मिट कार्ड , सरकारी योजनयों के बारे में जानकारियाँ उपलब्ध करवाते रहते है ।

धन्यवाद ॥ 

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