प्रस्तावना
भारत के इतिहास में कई महापुरुष हुए, लेकिन Mahatma Gandhi का स्थान सर्वोच्च है। उन्होंने न केवल स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, बल्कि अपने विचारों और सिद्धांतों से पूरी दुनिया को प्रभावित किया। सत्य, अहिंसा और आत्मबल के बल पर उन्होंने अंग्रेजी हुकूमत की नींव हिला दी।
Mahatma Gandhi का प्रारंभिक जीवन
Mahatma Gandhi का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर में हुआ था। उनका पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी था। उनके पिता करमचंद गांधी पोरबंदर के दीवान थे और माता पुतलीबाई धार्मिक प्रवृत्ति की महिला थीं।
बचपन से ही Mahatma Gandhi एक शांत और अनुशासित बालक थे। उन्होंने लंदन जाकर कानून की पढ़ाई की और 1891 में भारत लौटे। बाद में एक मुकदमे के सिलसिले में वे दक्षिण अफ्रीका गए, जहाँ उनके जीवन की दिशा ही बदल गई।
दक्षिण अफ्रीका में संघर्ष और Satyagraha की शुरुआत
दक्षिण अफ्रीका में Mahatma Gandhi ने नस्लीय भेदभाव का खुलकर विरोध किया। ट्रेन से उन्हें जबरन बाहर निकालने की घटना ने उनके भीतर बदलाव की चिंगारी जलाई। यहीं से उन्होंने Satyagraha की अवधारणा को जन्म दिया – एक ऐसा आंदोलन जो बिना हिंसा के अन्याय के खिलाफ आवाज उठाता है।
उन्होंने भारतीय समुदाय के अधिकारों के लिए कई आंदोलन चलाए और सत्य व अहिंसा के सिद्धांतों का पालन करते हुए बदलाव लाने में सफल रहे।
भारत वापसी और स्वतंत्रता संग्राम की शुरुआत
1915 में Mahatma Gandhi भारत लौटे। शुरुआत में उन्होंने देश के विभिन्न हिस्सों का दौरा किया और भारतवासियों की समस्याओं को करीब से जाना। उन्होंने देखा कि किसानों, मजदूरों और आम जनता पर अंग्रेजों का अत्याचार बढ़ता जा रहा है।
उनके नेतृत्व में कई ऐतिहासिक आंदोलनों की शुरुआत हुई:
1. चंपारण सत्याग्रह (1917)
यह आंदोलन बिहार के किसानों के लिए था जिन्हें नील की खेती के लिए मजबूर किया जाता था।
2. खेड़ा सत्याग्रह (1918)
गुजरात में किसानों पर सूखे के बावजूद लगान लगाया जा रहा था, जिसका Mahatma Gandhi ने शांतिपूर्ण विरोध किया।
3. असहयोग आंदोलन (1920)
इस आंदोलन के तहत गांधी जी ने देशवासियों से अंग्रेजी शासन का सहयोग न करने की अपील की।
4. दांडी यात्रा (1930)
अंग्रेजों के नमक कानून का विरोध करते हुए उन्होंने 240 मील की यात्रा की और अपने हाथों से नमक बनाकर कानून का उल्लंघन किया।
5. भारत छोड़ो आंदोलन (1942)
इस आंदोलन ने अंग्रेजों को भारत छोड़ने पर मजबूर कर दिया। “अंग्रेजो भारत छोड़ो” का नारा पूरे देश में गूंज उठा।
Mahatma Gandhi के विचार और सिद्धांत
Mahatma Gandhi के विचार आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं जितने स्वतंत्रता संग्राम के समय थे। उनके प्रमुख सिद्धांत निम्नलिखित हैं:
सत्य (Truth)
उनका मानना था कि सत्य ही ईश्वर है। उन्होंने हर कार्य में सच्चाई को सर्वोच्च स्थान दिया।
अहिंसा (Non-Violence)
Mahatma Gandhi ने हमेशा हिंसा का विरोध किया और अपने आंदोलनों में केवल अहिंसक मार्ग अपनाया।
ब्रह्मचर्य और आत्मसंयम
उन्होंने ब्रह्मचर्य और आत्मसंयम को आत्मशुद्धि का मार्ग माना।
स्वदेशी और खादी
उन्होंने विदेशी वस्त्रों का बहिष्कार कर खादी पहनने और आत्मनिर्भर बनने पर जोर दिया।
धार्मिक सहिष्णुता
गांधी जी ने सभी धर्मों को समान सम्मान दिया और धार्मिक एकता की बात की।
Mahatma Gandhi की हत्या और उनकी विरासत
भारत को आज़ादी मिलने के बाद, देश का विभाजन Mahatma Gandhi के लिए बहुत पीड़ादायक रहा। उन्होंने हिंदू-मुस्लिम एकता के लिए जीवन भर प्रयास किए। 30 जनवरी 1948 को नाथूराम गोडसे ने गांधी जी की गोली मारकर हत्या कर दी।
उनकी मृत्यु ने न केवल भारत को, बल्कि पूरी दुनिया को शोक में डुबो दिया।
Mahatma Gandhi की प्रेरणा और वैश्विक प्रभाव
Mahatma Gandhi की सोच और संघर्ष ने दुनिया भर के नेताओं को प्रेरित किया:
- नेल्सन मंडेला ने दक्षिण अफ्रीका में रंगभेद के खिलाफ गांधी जी के विचारों से प्रेरणा ली।
- मार्टिन लूथर किंग जूनियर ने अमेरिका में नागरिक अधिकार आंदोलन के दौरान अहिंसा की नीति अपनाई।
- बराक ओबामा ने भी गांधी जी को अपना आदर्श माना।
Mahatma Gandhi की शिक्षा आज के युग में
आज जब दुनिया में हिंसा, द्वेष और असहिष्णुता बढ़ रही है, Mahatma Gandhi के विचार फिर से प्रासंगिक हो गए हैं। उनकी बातें हमें सिखाती हैं कि:
- सच्चाई की राह कठिन हो सकती है, लेकिन उसका अंत हमेशा उज्ज्वल होता है।
- बदलाव लाने के लिए बंदूक नहीं, बल्कि साहस और शांति की ज़रूरत है।
- हर बड़ा आंदोलन एक छोटे से विचार से शुरू होता है।
निष्कर्ष
Mahatma Gandhi का जीवन एक जीवित प्रेरणा है। उन्होंने न केवल भारत को स्वतंत्रता दिलाई, बल्कि दुनिया को सिखाया कि बिना खून-खराबे के भी क्रांति लाई जा सकती है। उनका जीवन हमें बताता है कि सादगी, सच्चाई और अहिंसा से ही दुनिया में स्थायी परिवर्तन संभव है।
आज भी जब हम Mahatma Gandhi को याद करते हैं, तो हमें न केवल उनका सम्मान करना चाहिए, बल्कि उनके सिद्धांतों को अपनाकर एक बेहतर समाज के निर्माण की दिशा में काम करना चाहिए।
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